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हेट स्पीच वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस और AAP सरकार को हाई कोर्ट का नोटिस

याचिका में पिछले महीने उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में संपत्ति को पहुंचे नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गयी है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सलमान खुर्शीद और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर एवं बीजेपी नेता कपिल मिश्रा पर नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) देने का आरोप को लेकर दायर की गई नई याचिका पर दिल्ली पुलिस और आप सरकार से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने इस याचिका पर पुलिस और आप सरकार को नोटिस जारी किया। इस याचिका में कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने को लेकर इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की गई है। याचिका में पिछले महीने उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में संपत्ति को पहुंचे नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गयी है। 

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पीठ ने दिल्ली सरकार और पुलिस से 16 मार्च तक जवाब मांगा है और इस मामले को ऐसी ही अन्य सभी याचिकाओं के साथ 20 मार्च के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। नफरत भरे भाषण से जुड़े अन्य मामलों में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए 16 मार्च तक का वक्त मांगा था। अदालत ने उनकी मांग मान ली थी। 
नफरत भरे भाषण के संबंध में अन्य याचिकाओं में एक सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका है जिसमें कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने को लेकर बीजेपी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी है। लॉयर्स व्वॉयस नामक एक संगठन की एक अन्य अर्जी में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं पर नफरत भरे भाषण देने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गयी है। 
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की बृंदा करात ने भी हाई कोर्ट में दो अर्जियां लगा रखी हैं। एक अर्जी में दिल्ली की हाल की हिंसा में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की गयी है। दूसरे में निचली अदालत को चुनौती दी गयी है, दरअसल निचली अदालत ने पुलिस को कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने को लेकर बीजेपी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग संबंधी उनकी शिकायत पर फैसला टाल दिया था। 
नवीनतम याचिका दीपक मदान ने दायर की है जिसमें नफरत भरे भाषण देने में कथित रूप से शामिल लोगों की संपत्ति कुर्क करने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया है कि उनकी संपत्ति बेचकर राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों की क्षतिपूर्ति की जाए। इस अर्जी में इन नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज करने की भी मांग की गयी है। 

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