नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के हेडगेवार अस्पताल पर एक गंभीर आरोप लगा है। आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टरों ने हार्ट अटैक के एक मरीज को गंभीर स्थिति होने के बाद भी दवा लाने खुद ही बाहर भेज दिया, जिसके वजह से उसकी मौत हो गई। परिजन इसकी शिकायत दिल्ली मेडिकल काउंसिल से कर रहे हैं। हालांकि अस्पताल मरीज को बाहर भेजने से इंकार कर रहा है। गगन विहार निवासी 32 वर्षीय दिपांशु को बीते शुक्रवार करीब सवा चार बजे सीने ते तेज दर्द हुआ।
अकेले रहने की वजह से वह स्वयं अपनी फोर्ड आइकन लेकर पास के हेडगेवार अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टरों को अपनी परेशानी बताई। अंतिम बार दिपांशु से फोन पर बात करने वाले उनके दोस्त अंजुमन बताते हैं कि दिपांशु से सीने में दर्द की शिकायत और अस्पताल पहुंचने की जानाकरी मिलने पर करीब पांच बजे वह भी अस्पताल पहुंच गए थे। जहां उन्हें एक पुलिसकर्मी ने बताया कि इमरजेंसी के डॉक्टरों ने दिपांशु की प्राथमिक जांच कर उसे अस्पताल कैंपस में ही स्थित दवा दुकान से दवा लाने भेज दिया, जहां उसे हार्ट अटैक आया और वह जमीन पर गिर गया। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे बचाने की कोशिश भी की, लेकिन दिपांशु की मौत हो गई। दिपांशु के परिजन अब इसकी शिकायत दिल्ली मेडिकल काउंसिल से करने का मन बना रहे हैं।
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वहीं अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि मरीज को इमरजेंसी से बाहर नहीं भेजा गया था। मरीज 4ः50 पर अस्पताल आया था, जहां के बाद उन्हें वेंट्रिकुलर सिबेलेशन (दिल की धड़कन का अनियंत्रित हो जाना) की परेशानी पाई गई थी, लेकिन कई बार प्राथमिक जांच में अटैक की तिव्रता का सटीक अनुमान नहीं लग पाता है। मरीज को मेडिकल इमरजेंसी में ही बिठाया गया था, जहां उन्हें दौरा आया। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन कई बार स्थितियां डॉक्टरों के नियंत्रण के बाहर हो जाती हैं।