दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में संलिप्तता के बावजूद सुशील अंसल को बार बार पासपोर्ट जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विदेश मंत्रालय द्वारा जांच का बुधवार को आदेश दिया। उपहार अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गयी थी।
न्यायमूर्ति नाजमी वजीरी ने कहा कि इस मामले में ऐसा क्या खास था कि अधिकारियों ने अंसल को पासपोर्ट जारी किया जबकि पूरी दुनिया उपहार हादसा और मामले में रीयल एस्टेट कारोबारी की भूमिका के बारे में जानती है।
अदालत ने कहा कि सुनवाई अदालत द्वारा 2007 में एक मामले में दोषसिद्धि के बाद भी अंसल को पासपोर्ट जारी किया गया।
‘टिकट नहीं तो शिकायत नहीं’ अपहरण के 3 वर्ष बाद मुकदमा दर्ज
उपहार हादसा पीड़ित एसोसिएशन की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने अदालत को सूचित किया कि अंसल ने पासपोर्ट के लिए अतिरिक्त पुस्तिका की खातिर आवेदन करते समय अपनी दोषसिद्धि के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी दी।
अदालत ने कहा कि मामला की जांच विदेश मंत्रालय के ऐसे अधिकारी से करायी जाए जो संयुक्त सचिव के पद से कम नहीं हैं। अदालत ने अगली तारीख, 15 नवंबर से पहले प्रारंभिक रिपोर्ट जमा करने को कहा है। पूछताछ चार सप्ताह में पूरी की जानी है।
अदालत ने सवाल किया कि किस प्रकार 2000, 2004 और 2013 में पासपोर्ट जारी किए गए। अदालत ने गौर किया कि इस साल की शुरुआत में, अंसल ने पासपोर्ट अधिकारियों के सामने एक मामले में दोषसिद्धि तथा दो अन्य आपराधिक मामलों के लंबित होने की जानकारी दी।
उन्होंने दावा किया कि गलती से यह जानकारी पहले नहीं दी जा गयी और उसके बाद माफी मांगी गई थी जिसके बाद उन्हें अधिकारियों द्वारा जुर्माना लगाया गया था।