निर्भया रेप केस और हत्या मामले में आरोपी चारों दोषियों को सात साल के लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। जिसका स्वागत पूरे भारत ने किया। वहीं निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने वाले पवन जल्लाद ने उस स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि फांसी घर में किसी को बोलने की अनुमति नहीं होती जिस वजह से वहा केवल इशारो में ही निर्देश दिए जा रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह हमारा पुश्तैनी काम है। मैंने दोषियों को फांसी देकर अपना धर्म निभाया। लेकिन आमतौर पर फांसी से पहले आरोपियों को पश्चाताप होता है। लेकिन उन दरिंदो में से किसी में भी यह नहीं दिखा। पवन ने बताया की वह 17 मार्च को तिहाड़ जेल आये थे और यहां उन्होंने डमी पर ट्रायल किया था। सबसे पहले फांसी के फंदो को दही और मक्खन पिलाकर मुलायम किया गया।
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फांसी वाले दिन भी ऐसे ही फंदो को दुरुस्त किया गया। पवन ने आगे कहा सबसे पहले अक्षय और मुकेश को फांसी घर में लाया गया। फिर पवन और विनय को तख्ते पर ले जाया गया। हर गुनहगार के लिए पांच- पांच बंदीरक्षक लगाए गए थे। उन लोगो को एक-एक कर तख्ते पर ले जाकर खड़ा किया गया।
इसके बाद चारों आरोपियों के फंदे को दो लीवर से जोड़ा गया और उनके चेहरे पर कपड़ा डाला साथ ही फंदा लटकाकर संतुष्टि की गई। और फिर समय के अनुसार जेल अफसर के इशारे पर लीवर खींच दिया गया और उन्हें फांसी दे दी गई।