दिल्ली विधानसभा में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) औरराष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया गया। प्रस्ताव पेश करते हुए आप सरकार ने केंद्र से कोरोना के चलते एनआरसी और एनपीआर की पूरी प्रक्रिया को आगे न बढ़ाने और इसे वापस लेने का आग्रह किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘‘मेरे, मेरी पत्नी, मेरे पूरे कैबिनेट के पास नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। क्या हमें डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा?’’ मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से कहा कि वे दिखाएं कि क्या उनके पास सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र हैं?
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केजरीवाल ने विधानसभा में विधायकों से कहा कि यदि उनके पास जन्म प्रमाण पत्र हैं, तो वे हाथ उठाएं। इसके बाद दिल्ली विधानसभा के 70 सदस्यों में से केवल नौ विधायकों ने हाथ उठाए। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सदन में 61 सदस्यों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। क्या उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा?’’
उन्होंने दावा किया कि यदि एनपीआर को अगले महीने से लागू किया जाता है तो केवल मुसलमान ही नहीं, बल्कि वे हिंदू भी प्रभावित होंगे जिनके पास सरकारी एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘‘यदि आप मुसलमान हैं और आपके पास दस्तावेज नहीं हैं, तो आपको डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा। यदि आप पाकिस्तान के हिंदू हैं तो आपको नागरिकता दी जाएगी। यदि आप भारतीय हिंदू हैं और आपके पास दस्तावेज नहीं है, तो आपको भी डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा।’’
उन्होंने दावा किया कि एनपीआर प्रक्रिया में आधार कार्ड और मतदाता प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे, केवल सरकारी एजेंसी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र ही स्वीकार्य होंगे। प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि ‘‘भारत सरकार को इसके साथ आगे बढ़ना है’’ तो केवल एनपीआर को उसके 2010 के प्रारूप में ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए और इसमें कोई नया प्रावधान शामिल नहीं करना चाहिए।