साध्वियों का देहशोषण करने के जुर्म में हरियाणा के रोहतक के समीप सुनारिया जेल में लंबी सजा भुगत रहे गुरमीत राम रहीम के अनुयायी प्रेमी उनके डेरा सच्चा सौदा की खोई हुई ताकत को लोकसभा चुनाव के मौके पर फिर से पाने में जुटे हैं। सूत्रों ने बताया कि डेरा प्रमुख को अगस्त 2017 में सजा हो जाने के बाद डेरा सच्चा सौदा बिखर गया। इसका प्रबंधन अस्त-व्यस्त हो गया।
डेरा र्प्रेमियों में भी बिखराव आ गया जिससे डेरा समाप्ति के कगार पर पहुंच गया। अब लोकसभा चुनाव के मौके पर डेरा प्रमुख के अनुयाई डेरे का अस्तित्व बचाने और अपनी राजनीतिक ताकत दर्शान के लिये सक्रिय हो गए हैं, इसी के मद्देनजर वे डेरा प्रेमियों के साथ बैठकें-सभाएं कर रहे हैं। इसके लिए डेरा प्रबंधन से जुड़े लोगों ने तीन स्तरीय रणनीति बनाई है।
यह रणनीति कारगर हो सकती है अगर डेरा प्रेमियों का सकारात्मक रुख दिखाई दे। जानकारों के अनुसार चुनाव के मौके पर एकजुटता दिखाने का उद्देश्य डेरा प्रेमी फिर से अपनी राजनीतिक ताकत भी जाहिर करना चाहते हैं। इस सम्बन्ध में डेरे के सूत्रों ने बताया-‘चाहे पहले की अपेक्षा डेरे का रुतबा एवं प्रभाव कुछ कम हुआ हो, बावजूद इसके कोई भी डेरा प्रबंधन का पदाधिकारी किसी भी राजनीतिक दल या नेता के पास नहीं जायेगा। कोई नेता चलकर डेरे वालों के पास आयेगा तब भी उसे आशीर्वाद मिलेगा या नहीं, यह अभी कुछ भी तय नहीं है।’
आयकर विभाग ने मांगी डेरा सच्चा सौदा की संपत्ति की रिपोर्ट
डेरा सूत्रों ने बताया कि गत वर्ष राजस्थान सहित तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान डेरे की राजनीतिक शाखा किसी भी राजनीतिक दल के समर्थन करने के बारे में कोई फैसला नहीं कर पायी थी। तब अनुयायियों को एक संदेश दिया गया था कि वे अपने विवेक के अनुसार निर्णय लेने को स्वतंत्र हैं, लेकिन एक हिदायत जरूर दी गई थी कि एक खंड के अनुयायी सर्वसम्मति से अपने स्तर फैसले में एकरूपता बनायें कि उन्हें किसका समर्थन करना है। लिहाजा विधानसभा चुनाव में खंड स्तर पर अनुयायियों ने अपने विवेक और सर्वसम्मति से फैसला किया और उस पर अमल भी किया।