राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने गुरुग्राम में गुरवार को तीसरे युवा पुलिस अधीक्षक सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कानून बनाना लोकतंत्र का सबसे पवित्र काम है। और आप उस कानून के प्रवर्तक हैं। यदि आप कानूनों को लागू करने में विफल रहते हैं, तो लोकतंत्र विफल हो जाता है। एक कानून उतना ही अच्छा है जितना कि जमीन पर चलाया जाता है।
एनएसए डोभाल ने कहा, आम आदमी को पुलिस ‘‘विश्वसनीय एवं निष्पक्ष’’ नजर आनी चाहिए और अगर यह कानून लागू करने में नाकाम रहती है तो लोकतंत्र नाकाम होता है। एनएसए ने पुलिस अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि यह धारणा कि पुलिस सिर्फ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की ही सेवा करती है, यह दूर होनी चाहिये। यह धारणा संगठन की छवि खराब करती है।
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उन्होंने कहा कि ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले पुलिस के एक थिंक टैंक पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘कानून बनाना किसी लोकतंत्र में सबसे पवित्र काम है। यह किसी साम्राज्यवादी शासक द्वारा या किसी धार्मिक नेता के मंच से नहीं होता, बल्कि जनता के प्रतिनिधियों द्वारा होता है और आप कानून लागू करने वाले लोग हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप नाकाम होते हैं तो लोकतंत्र विफल होता है।’’ उन्होंने कहा कि यदि पुलिसकर्मी कानून लागू करने में सक्षम नहीं होते हैं तब उस कानून का बनना व्यर्थ है। कोई कानून उतना ही अच्छा होता है जितना कि उसका जमीनी क्रियान्वयन होता है। दिल्ली में हुई हालिया हिंसा के मद्देनजर एनएसए की यह टिप्पणी मायने रखती है। दिल्ली में हिंसा को नियंत्रित करने में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
एनएसए डोभाल ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में कानून के प्रति समर्पण अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आपको निष्पक्षता से और वस्तुनिष्ठता से काम करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि यह भी जरूरी है कि आप विश्वसनीय दिखें। उन्होंने कहा कि पुलिस के बारे में धारणा महत्वपूर्ण है क्योंकि लोग किसी गलत पुलिसकर्मी के छिटपुट उदाहरण को देख कर पुलिसकर्मी के बारे में धारणा बना लेते हैं कि भारतीय पुलिस यही है।
एनएसए डोभाल ने कहा कि धारणा से लोगों को भरोसा मिलता है, जो उनके विश्वास के स्तर को बढ़ाता है और उनके जीवन को मनोवैज्ञानिक रूप से कहीं अधिक सुरक्षित बनाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि आम आदमी यह महसूस करता है कि उन्हें ऐसी पुलिस मिली है जो दक्ष, सतर्क, ईमानदार, वस्तुनिष्ठ, पेशेवर रूप से सक्षम और दोस्ताना व्यवहार वाली है तो समाज में यह भावना बनती है कि सभी लोग सुरक्षित होंगे।
उन्होंने युवा पुलिस अधिकारियों से अपनी पदस्थापना के स्थान पर लोगों की मनोदशा को समझने और उनके लिए गंभीरता से काम करने को कहा। डोभाल ने उनसे समाज के उन लोगों के लिए काम करने को कहा जो सर्वाधिक नजरअंदाज,विशेषाधिकार रहित महसूस करते हैं, जो यह महसूस करते हैं कि उनके लिए सुरक्षा का अभाव है तथा जो यह महसूस करते हैं कि उनकी शिकायत कभी भी पुलिस के पास नहीं पहुंचेगी।
उन्होंने कहा कि आपको लोगों के बीच पुलिस की इस छवि को दूर करना चाहिए कि पुलिस सिर्फ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की ही सेवा करती है। एनएसए ने कहा कि भारत के लंबे समय तक गुलाम रहने को पुलिस के साथ लोगों की विरक्ति से कभी-कभी जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब लोग खुद को राजनीतिक रूप से सशक्त देखते हैं। तब यह प्रतिरोध का भी रूप लेता है और उसके तहत प्रदर्शन या हिंसा के दौरान पुलिस वाहन को आग के हवाले किये जाने के वाकये देखने को मिलते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस दिन समाज यह महसूस करना शुरू कर देगा कि किसी व्यक्ति द्वारा आग के हवाले की गई पुलिस की संपत्ति या पुलिस वाहन असल में सार्वजनिक धन है, यह एक सामाजिक बदलाव लाएगा।’’ उन्होंने कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि इस पुलिस के लिए वे भुगतान कर रहे हैं, पुलिस उनके सर्वश्रेष्ठ हितों के लिए है। ऐसा महसूस करने में वक्त लगेगा और यह शुरू हो चुका है।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल से अंतरिक्ष में निशाना साधने की प्रौद्योगिकी रखने या चांद पर जाने की योजना बनाने के बावजूद भारत जैसे शक्तिशाली देश होने के बावजूद गांव या कस्बे में पुलिसिंग के लिए पर्याप्त प्रौद्योगिकी नहीं है।