भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के सदस्यों को चुनने के लिए गठित आठ सदस्यीय समिति ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक की। मोदी सरकार द्वारा इस समिति का गठन किए जाने के करीब चार महीने बाद यह बैठक हुई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि समझा जाता है कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकपाल के प्रमुख और उसके सदस्यों की नियुक्तियों से संबंधित तौर तरीकों पर चर्चा की।
इस बैठक से कुछ दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने इस समिति के लिए उन नामों का पैनल भेजने के लिए फरवरी के अंत तक की समय सीमा तय की थी, जिन नामों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत चयन समिति द्वारा लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में नियुक्त करने के लिए विचार किया जा सके।
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शीर्ष अदालत ने 17 जनवरी को नाम सुझाने वाली समिति को अपना विचार विमर्श पूरा करने तथा लोकपाल अध्यक्ष और सदस्यों के उम्मीदवारों के नामों की सूची की सिफारिश फरवरी के अंत तक करने को कहा था।
गौरतलब है कि कुछ खास श्रेणी के लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों पर गौर करने के लिए केन्द्र में लोकपाल तथा राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की व्यवस्था करने वाला लोकपाल कानून 2013 में पारित हुआ था।
गत वर्ष सितंबर में गठित समिति के सदस्यों में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की पूर्व प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश और इसरो के पूर्व प्रमुख ए एस किरन कुमार शामिल हैं ।
उनके अलावा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख सब्बीरहुसैन एस खंडवावाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ललित के. पंवार और रंजीत कुमार समिति के अन्य सदस्य हैं।
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि नाम सुझाने वाली समिति का गठन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उठाई चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए किया गया। खड़गे चयन समिति की बैठकों का बहिष्कार इस आधार पर करते रहे हैं कि उन्हें समिति का पूर्ण सदस्य नहीं बनाया गया है।
वह उन्हें पिछले साल छह मौकों पर चयन समिति की बैठकों में ‘विशेष अतिथि’ के तौर पर शामिल होने के लिए भेजे गये न्यौते को खारिज कर चुके हैं।
खड़गे ने इससे पहले सरकार से लोकपाल कानून में संशोधन करके चयन समिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल करने तथा इस संबंध में अध्यादेश लाने का अनुरोध किया था।
उल्लेखनीय है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता चयन समिति के सदस्य होंगे। चूंकि, खड़गे को यह दर्जा हासिल नहीं है, इसलिए वह समिति का हिस्सा नहीं हैं। विपक्ष के नेता का दर्जा हासिल करने के लिए उनकी पार्टी के पास लोकसभा में कम से कम 55 सीटें या सदन के सदस्यों की कुल संख्या की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए।