मुरली मनोहर जोशी बोले - अहम मुद्दों पर पार्टियों में विचार विमर्श की परंपरा टूटी, इसे जिंदा करने की जरूरत - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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मुरली मनोहर जोशी बोले – अहम मुद्दों पर पार्टियों में विचार विमर्श की परंपरा टूटी, इसे जिंदा करने की जरूरत

जोशी ने कहा, कुछ मामलों में माकपा के नेता सीताराम येचुरी अपने नाम के अनुरूप ‘सीताराम’ का ध्यान रखकर हमारा (बीजेपी) साथ देते थे और कभी कभी हम भी उनका (वामपंथी विचारधारा) साथ देते थे।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के अहम मुद्दों पर लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों में दलगत राजनीति से परे होकर गंभीर विचार विमर्श की परंपरा लगभग खत्म हो गई है और इस परंपरा को फिर से कायम करने की जरूरत है। 
जोशी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता एस जयपाल रेड्डी के निधन पर मंगलवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दलगत राजनीति से परे हटकर देशहित से जुड़े अहम मुद्दों पर विचार विमर्श कर एकराय बनाने की कोशिशें थम गई हैं। 

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उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) जैसे अहम मुद्दों पर रेड्डी एवं वामदल सहित अन्य दलों के नेताओं की मौजूदगी वाले विभिन्न नेताओं के समूहों (फोरम) का जिक्र करते हुए कहा कि इन समूहों में दलगत विचारधारा से हटकर विचार विमर्श होता था। 
जोशी ने कहा, ‘‘कुछ मामलों में माकपा के नेता सीताराम येचुरी अपने नाम के अनुरूप ‘सीताराम’ का ध्यान रखकर हमारा (बीजेपी) साथ देते थे और कभी कभी हम भी उनका (वामपंथी विचारधारा) साथ देते थे।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘ये जो एक फोरम था जिसमें एक समझ बनी थी कि विभिन्न पार्टियों के लोग कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर एकराय बनाने की कोशिश करते थे, ये कोशिशें भी कम हो गई हैं, लगभग खत्म हो गई हैं, उन्हें जागृत करने की जरूरत है।’’
वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘‘कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो देश और कुछ मामलों में विश्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन पर विचार विमर्श होना न सिर्फ जनतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि देश के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उस तरफ ध्यान देने की जरूरत है। यही रेड्डी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’ 
उन्होंने कहा कि इस तरह के विचारविमर्श, जिसे दलगत राजनीति से हटकर अपनी पार्टी से संबंधों को कुछ समय के लिए परे रखकर देश की समस्याओं पर गहराई के साथ विचार करने की कोशिश पुन: शुरु होनी चाहिए। रेड्डी की याद में आयोजित ‘संस्मरण सभा’ में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव और कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने शिरकत की। 
इस दौरान सिंह ने आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य के गठन में रेड्डी की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक कुशल राजनेता, प्रखर वक्ता और उच्च कोटि से प्रशासक थे। नायडू ने रेड्डी के साथ विधानसभा और संसद के अपने अनुभव साझा करते हुए उन्हें अपना मार्गदर्शक बताया। 
इस दौरान केजरीवाल ने मौजूदा समय में धर्म और जाति के नाम पर की जा रही राजनीति को दुखद बताते हुए कहा, ‘‘आज जबकि धर्म और जाति के नाम पर दीवारें खड़ी की जा रही हैं, तब रेड्डी उम्मीद की किरण के रूप में नजर आते हैं।’’ येचुरी, यादव और राजा ने भी रेड्डी की बेबाक और साफगोई राजनीतिक कार्यप्रणाली को अनुकरणीय बताया। 

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