नेशनल बिल्डिंग्स कंसट्रक्शन कार्पोरेशन (एनबीसीसी) ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह कानूनी लड़ाई में उलझे आम्रपाली समूह की कंपनियों की परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने के लिये तैयार है जो मकान खरीदारों को करीब 42,000 फ्लैट का कब्जा देने में विफल रही हैं।
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू ललित की पीठ ने एनबीसीसी से कहा कि इस संबंध में 30 दिन के भीतर ठोस प्रस्ताव पेश करके बताया जाये कि वह समयबद्ध कार्यक्रम के तहत आम्रपाली समूह की परियोजनाओं को किस तरह पूरा करेगा।
पीठ ने एनबीसीसी से कहा कि आम्रपाली समूह द्वारा मकान खरीदारों से लिया गया धन उसे परियोजनाओं को पूरा करने के लिये उपलब्ध कराया जायेगा। पीठ ने बिल्डर और खरीदारों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे कार्पोरेशन की मदद करें और उसे सारे दस्तावेज मुहैया करायें।
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पीठ ने न्यायालय के निर्देशों का पालन करने और न्यायालय को पहले दिये गये आश्वासनों का पालन करने में विफल रहने के लिये समूह की तीखी आलोचना की और उसने बिल्डर को 250 करोड़ रूपए जमा कराने का अपना पहले का आदेश वापस ले लिया।
पीठ ने समूह को एक आवेदन वापस लेने की अनुमति देते हुये कहा कि उसका आचरण ‘‘पूरी तरह अनुचित’’ और ‘‘पूरी तरह गलत’’ है।
पीठ ने कहा, ‘‘आपने (समूह) धन जमा नहीं कराया। हम आप पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? हम आप पर भरोसा क्यों करें? आप (मकान का कब्जा प्राप्त करने वाले खरीदारों को) जलापूर्ति नहीं कर रहे हैं और आपके यहां लिफ्ट भी नहीं है। आपने पैसा कमाया और आप पानी भी मुहैया नहीं करा रहे हैं। आप किस तरह के व्यक्ति हैं।’’
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न्यायालय ने आम्रपाली समूह द्वारा कथित रूप से 2,765 करोड़ रूपए का अन्यत्र इस्तेमाल करने का भी संज्ञान लिया और आडिटर से कहा कि वह इस बारे में रिपोर्ट पेश करे।
शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह की कंपनियों के सभी बैंक खाते जब्त करने संबंधी उसके आदेश के बारे में बैंकों को भी अवगत कराने का निर्देश अपनी रजिस्ट्री को दिया।
इस मामले में सुनवाई के दौरान आम्रपाली समूह ने पीठ के समक्ष 40 फर्मो में से 38 के बैंक खाते का विवरण पेश किया और कहा कि उनके निदेशकों का व्यक्तिकत विवरण जल्द ही दाखिल किया जायेगा।
न्यायालय में उपस्थित केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने पीठ को बताया कि मकान खरीदारों के मुद्दों और नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे पर अधूरी अथवा अधर में लटकी आवासी परियोजनाओं से प्रभावित पक्षों की समस्याओं को सुनने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति को समस्या के समाधान के लिये नीतिगत निर्णय लेना है।
उन्होंने कहा कि समिति की 25 जून और 10 जुलाई को बैठक हुयी थी। इसके बाद चार रियल इस्टेट कंपनियों-आम्रपाली, यूनीटेक, जेपी और 3सी को 18 जुलाई को बुलाया गया ताकि उनकी परियोजनाओं की स्थिति और खरीदारों की समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि उन्हें आम्रपाली मामले में शीर्ष अदालत के आदेश की जानकारी नहीं थी और उनकी आदेशों के उल्लंघन की कोई मंशा नहीं थी।
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एनबीसीसी के अध्यक्ष डा अनूप कुमार मित्तल भी न्यायालय के निर्देश पर आज पेश हुये और उन्होंने कहा कि कार्पोरेशन ने को-डिवलपर्स को आमंत्रित करने के लिये एक सामान्य विज्ञापन निकाला है और यह विशेषरूप से आम्रपली समूह के लिये नहीं है।
पीठ ने उसकी अनुमति के बगैर ही नेशनल बिल्डिंग्स कंसट्रक्शन कार्पोरेशन लि द्वारा आम्रपाली समूह से संबंधित कार्य करने के लिये को-डिवलपर्स आमंत्रित करने हेतु विज्ञापन जारी करने पर भी नाराजगी व्यक्त की थी।
डा मित्तल ने पीठ से कहा कि एनबीसीसी आम्रपाली समूह की परियोजनाओे को पूरा करने का काम अपने हाथ में लेने के लिये तैयार है और वह कोई प्रस्ताव पेश करने से पहले इसका विस्तृत अध्ययन करेगा।
एनबीसीसी के अध्यक्ष ने शुरू में कहा कि उसे प्रस्ताव पेश करने के लिये 60 दिन का वक्त चाहिए परंतु जब पीठ ने कहा कि उसे इस प्रक्रिया को गति प्रदान करनी होगी तो मित्तल ने कहा कि कार्पोरेशन 30 दिन में इसे करेगा।
पीठ ने परेशान मकान खरीदारों की समस्या हल करने के लिये नीति का अध्ययन करने हेतु मिश्रा की अध्यक्षता में समिति गठित किये जाने की भी सराहना की।
पीठ ने स्पष्ट किया कि समिति को इन मामलों में कोई अगला कदम उठाने से पहले न्यायालय को अवगत कराना होगा। न्यायालय इस मामले में अब आठ अगस्त को आगे विचार करेगा। न्यायालय उसी दिन समूह की फर्मो और उसके निदेशकों के बैंक खातों के विवरण से संबंधित मुद्दे पर भी विचार करेगा।