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पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर साहिब गुरूद्वारे की जमीन चोरी छिपे हड़प ली – अधिकारी

भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गलियारा विकसित करने के नाम पर करतारपुर गुरूद्वारे की

भारतीय अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गलियारा विकसित करने के नाम पर करतारपुर गुरूद्वारे की जमीन ‘चोरी-छिपे हड़प’ ली और इस परियोजना के लिए भारत के ज्यादातर प्रस्तावों पर आपत्ति की जो उसके ‘‘दोहरे मापदंड’’ का परिचायक है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत में गुरू नामक देव के श्रद्धालुओं की भावनाओं के प्रतिकूल इस पावन सिख स्थल की जमीन पर ‘धड़ल्ले से अतिक्रमण’ किये जाने के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया। यह प्रतिनिधिमंडल पंजाब के गुरदासपुर को पाकिस्तान के करतारपुर सिख धर्मस्थल से जोड़ने के लिए बनने वाले गलियारे के तौर तरीके को अंतिम रूप देने के लिए बृहस्पतिवार को पहली भारत-पाकिस्तान बैठक में हिस्सा ले रहा था।

बैठक में हिस्सा लेने वाले एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान झूठे वादे और ऊंचे दावे करने एवं जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करने की अपनी पुरानी छवि पर खरा उतरा है। करतारपुर साहिब गलियारे पर उसका दोहरा मापदंड बृहस्पतिवार को उसकी पहली बैठक में ही बेनकाब हो गया। ’’

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अधिकारी ने कहा कि जिस जमीन पर अतिक्रमण किया गया है, वह महाराजा रणजीत सिंह और अन्य श्रद्धालुओं ने करतारपुर साहिब को दान में दी थी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘गुरूद्वारे की जमीन पाकिस्तान सरकार ने गलियारा विकसित करने के नाम पर चोरी-छिपे हड़प ली। भारत में इस मुद्दे पर लोगों की प्रबल भावनाओं को ध्यान में रखकर इन जमीनों को पवित्र गुरूद्वारे को तत्काल लौटाये जाने की कड़ी मांग रखी गयी।’’

भारत के यह स्पष्ट करने के बावजूद कि वह 190 करोड़ रूपये खर्च कर सीमा पर स्थायी और समग्र सुविधाओं का निर्माण कर रहा है, पाकिस्तान करतारपुर समझौते की अवधि को बस दो साल तक के लिए सीमित करना चाहता है ।

भारत ने भारतीय तीर्थयात्रियों और गुरू नानक देव के श्रद्धालुओं की करतारपुर साहिब के आसान एवं निर्विघ्न तीर्थाटन की पुरानी आकांक्षा को पूरा करने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं जबकि पाकिस्तान ने उसके प्रस्तावों पर ठंडा पानी डाल दिया है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘पाकिस्तान सरकार और मीडिया द्वारा खड़ा किये गये हौआ के बीच वार्ता के दौरान उसकी वास्तविक पेशकश हास्यास्पद और रस्मी साबित हुई। प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान ने जो कुछ कहा है और अटारी की बैठक में पाकिस्तानी पक्ष ने जो कुछ पेशकश की, उसके बीच जमीन आसमान का अंतर है। स्पष्टत: पाकिस्तान की भारतीय तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब की आसान यात्रा उपलब्ध कराने में रूचि नहीं है।’’

अधिकारी ने कहा कि जहां भारत रोजाना 5000 तीर्थयात्रियों और वैशाखी जैसे विशेष मौकों पर 15000 तीर्थयात्रियों को ध्यान में रखकर अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल बिल्डिंग बना रहा है, वहीं पाकिस्तान ने तीर्थयात्रियों की संख्या रोजाना 700 सीमित कर दी है। पाकिस्तान उसके द्वारा निर्धारित यात्रा दिवसों और वह भी उनके पैदल नहीं, बल्कि वाहनों से जाने पर जोर दे रहा है।

पहले तो उसने करतारपुर साहिब के लिए वीजामुक्त तीर्थयात्रा का आश्वासन दिया था लेकिन अब उसने शुल्क लेकर तीर्थयात्रियों को विशेष परमिट देने की शर्त रख दी है। इस तरह कई अन्य शर्तें भी उसने रखी है।

करतारपुर में ही सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी साल गुजारे थे। यह पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरदासपुर में इस गलियारे की आधारशिला रखी थी। दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने नारोवाल में इस गलियारे की आधारशिला रखी थी।

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