रणदीप सुरजेवाला ने पलायन कर रहे कामगारों की दशा के मामले में SC से हस्तक्षेप की अनुमति मांगी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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रणदीप सुरजेवाला ने पलायन कर रहे कामगारों की दशा के मामले में SC से हस्तक्षेप की अनुमति मांगी

कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा कि वह जगह जगह फंसे या लंबी यात्रा तय कर रहे कामगारों की दुश्वारियों को कम करने के लिये न्यायालय को कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में अवगत कराना चाहते हैं जिन पर केन्द्र विचार कर सकता है।

देशभर में जगह-जगह फंसे प्रवासी मत्रदूरों की बदहाली का उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए केन्द, सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को मंगलवार को नोटिस जारी किये जाने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मामले में हस्तक्षेप याचिका दायर की। कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा कि वह जगह जगह फंसे या लंबी यात्रा तय कर रहे कामगारों की दुश्वारियों को कम करने के लिये न्यायालय को कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में अवगत कराना चाहते हैं जिन पर केन्द्र विचार कर सकता है। 
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा अंतिम रूप दिये गये इस आवेदन में कहा गया है कि इन कामगारों की समस्याओं पर विचार करने के लिये विपक्षी दलों के साथ मिलकर कोई संयुक्त समिति गठित करने में केन्द्र सरकार के विफल रहने की वजह से आवेदक (सुरजेवाला) और विपक्षी दल या किसी भी सांसद द्वारा बताये गये उपायों पर सरकार विचार करने में असफल रही है। 

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सुरजेवाला ने सुझाव दिया है कि केन्द्र को तत्काल जिला और ग्राम स्तर पर इन कामगारों के लिये स्वागत और सुविधा केन्द्र स्थापित करने चाहिए और उन्हें उनके पैतृक जिलों तथा गांवों तक जाने की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने मंगलवार को इन कामगारों की दयनीय स्थिति और उनके समक्ष पेश आ रही कठिनाईयों का संज्ञान लेते हुये कहा था कि केन्द्र और राज्य सरकारों को इन कामगारों के लिये नि:शुल्क भोजन और आवास के साथ ही पर्याप्त परिवहन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। 
पीठ ने कोविड-19 महामारी के संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन की वजह से महानगरों से पैदल और साइकिल पर अपने अपने घर की ओर जा रहे इन कामगारों की दयनीय स्थिति के बारे में मीडिया की तमाम खबरों का स्वत: ही संज्ञान लिया। पीठ ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये केन्द्र और राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से 28 मई तक जवाब मांगा है। 

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