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लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों की आवाजाही के दौरान केंद्र के दिशानिर्देशों का सख्ती से हो पालन : गृह मंत्रालय

सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को लॉकडाउन (बंद) के कारण फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों और तीर्थयात्रियों की देश के अंदर आवाजाही के लिये गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नवीनतम दिशानिर्देश का “सख्ती से पालन” करना होगा।

कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वायरस से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू है. इस बीच सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को लॉकडाउन (बंद) के कारण फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों और तीर्थयात्रियों की देश के अंदर आवाजाही के लिये गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नवीनतम दिशानिर्देश का “सख्ती से पालन” करना होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। केंद्र सरकार ने बुधवार को नए दिशानिर्देश जारी कर राज्यों को फंसे हुए छात्रों, प्रवासी कामगारों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को उनके गृह प्रदेश या गंतव्यों तक दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए ले जाने की इजाजत दे दी थी।
ये दिशानिर्देश फंसे हुए लोगों की आवाजाही के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के उद्देश्य से तैयार किये गए हैं। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान यह पूछे जाने पर कि कुछ राज्यों और अन्य लोगों द्वारा की गई मांग के अनुरूप क्या विशेष ट्रेनों और निजी वाहनों की इजाजत भी इन लोगों के परिवहन के लिये दी जाएगी, केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्या सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि अभी जारी किये गए आदेश “बसों के इस्तेमाल और लोगों के समूह” के लिये हैं।

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यह पूछे जाने पर कि क्या तीन मई के बाद ई-वाणिज्य गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा, श्रीवास्तव ने कहा, “हमें नए आदेशों के आने का इंतजार करना चाहिए।” तीन मई को व्यापक बंद की अवधि खत्म हो रही है। श्रीवास्तव ने गृह मंत्रालय की तरफ से आयोजित नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “आवाजाही की व्यवस्था करते समय राज्य सरकारों को कुछ निश्चित बातों का ध्यान रखना होगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को नोडल अधिकारी तैनात करना होगा जो ऐसे फंसे हुए लोगों के लिये मानक व्यवस्था तैयार करेगा।”
उन्होंने कहा, “उन्हें ऐसे लोगों को पंजीकृत करना होगा और संबंधित राज्यों को सड़क मार्ग से इनका आवागमन सुनिश्चित करने के लिये आपस में चर्चा करनी होगी।” उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की जांच की जाएगी और जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे उन्हें जाने की इजाजत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यात्रा के लिये बसों का इंतजाम किया जाएगा और इन गाड़ियों को सैनिटाइज किया जाएगा तथा बसों में यात्रियों के बैठने की व्यवस्था करते समय सामाजिक दूरी पर सख्ती से अमल किया जाएगा।

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अधिकारी ने गृह मंत्रालय के आदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि पारगमन मार्ग में आने वाले सभी राज्य ऐसे आवागमन की इजाजत देंगे और गंतव्य पर पहुंचने के बाद स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी यात्रियों की जांच करेंगे और अगर उन्हें संस्थागत पृथक-वास केंद्रों में रखने की जरूरत नहीं होगी तो उन्हें 14 दिनों तक घर पर पृथक-वास की इजाजत दी जाएगी। यात्रियों की नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच की जाएगी और उनकी निगरानी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि यात्रियों को ‘आरोग्य सेतु’ ऐप के इस्तेमाल के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। श्रीवास्तव ने कहा, “सभी राज्यों को सख्ती से इन दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।” अधिकारियों ने हैदराबाद (तेलंगाना की राजधानी) और चेन्नई (तमिलनाडु की राजधानी) गए केंद्र के अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) से मिली जानकारी से भी मीडिया को अवगत कराया।
इन दलों की अध्यक्षता केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी कर रहे थे और इनमें स्वास्थ्य देखभाल, आपदा प्रबंधन और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इस दल को देश में कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में इस बीमारी की रोकथाम के लिये उठाए गए कदमों की समीक्षा करने को कहा गया है।

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श्रीवास्तव ने कहा कि हैदराबाद में आईएमसीटी ने अस्पतालों, केंद्रीय औषधि भंडारों, आश्रय गृहों और मंडियों का दौरा किया। यह पाया गया कि राज्यों के पास पर्याप्त संख्या में जांच किट और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) हैं और मरीजों की जांच से लेकर उनकी अस्पताल से छुट्टी तक उन पर नजर रखने के लिये सूचना-प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
दल ने प्रदेश में कोविड-19 के लिये नोडल-सेंटर बने अस्पताल का दौरा किया और पाया कि यहां सभी मानकों का पालन किया जा रहा है। उसमें एक प्रयोगशाला है जहां रोजाना 300 जांच की जा सकती हैं और प्रदेश के 97 फीसदी मामलों का यहां इलाज हो रहा है। दल ने किंग कोटी में जिला अस्पताल का दौरा किया और पाया कि वहां सभी मानकों का पालन किया जा रहा था।

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उन्होंने कहा कि यह सुझाव दिया गया है कि अस्पताल में पीपीई किट पहनने और उतारने का काम अलग होना चाहिए। कर्मचारियों और मरीजों के लिये अलग गलियारा होना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा कि आईएमसीटी ने हुमायूं नगर निषिद्ध क्षेत्र का भी दौरा किया जिसे बैरीकेड कर दिया गया है और यहां घर-घर नजर रखी जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि आईएमसीटी ने चेन्नई में दौरा करने के बाद सुझाव दिया कि सार्वजनिक स्थानों पर सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और मछुआरों के गांवों में कोरोना वायरस के खिलाफ जागरुकता “बेहद जरूरी” है।
उन्होंने आईएमसीटी का हवाला देते हुए कहा कि दल ने पाया कि लोगों के ठीक होने की दर काफी अच्छी है क्योंकि 2058 लोगों में से 1,168 लोगों को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई जिसका मतलब 57 प्रतिशत लोग ठीक हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह सुझाव दिया गया कि भीड़-भाड़ वाली जगहों, झुग्गियों, बैंकों आदि में सामाजिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन करवाने के लिये कदम उठाए जाएं।

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