रेप के आरोपी के साथ शादी करने वाली बात पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि मामले में गलत रिपोर्टिंग की गई। सीजेआई ने 14 वर्षीय गर्भवती रेप पीड़िता को गर्भपात की मंजूरी देने संबंधी याचिका की सुनवाई करते हुए सोमवार को टिप्पणी की कि कोर्ट महिलाओं का सर्वाधिक सम्मान करता है।
सीजेआई बोबड़े ने कहा- इस कोर्ट ने हमेशा महिलाओं को बड़ा सम्मान दिया है। हमने कभी किसी आरोपी से पीड़िता से शादी करने को नहीं कहा है। हमने कहा था, ‘क्या तुम उससे शादी करने जा रहे हो? इस मामले में हमने जो कहा था, उसकी पूरी तरह से गलत रिपोर्टिंग की गई थी।’
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की उस हालिया टिप्पणी को लेकर उसकी आलोचना हुई, जिसमें उसने एक अन्य मामले में रेप के आरोपी से पूछा था कि क्या वह पीड़िता से विवाह करना चाहता है। इस घटना की पीड़िता से जब दुष्कर्म हुआ था, उस समय वह नाबालिग थी। माकपा पोलितब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने सीजेआई को इस संबंध में पत्र लिखकर उनसे अपनी यह टिप्पणी वापस लेने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका पर एक मार्च को सुनवाई करते हुए कथित रूप से यह टिप्पणी की थी। कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, नागरिकों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और कलाकारों ने भी प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह माफी मांगे और इन टिप्पणियों को वापस लें।
पहले यह कहा था कि आरोपी से पीड़िता के साथ विवाह करने के बारे में पूछने संबंधी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ‘न्यायिक रिकॉर्ड’ पर आधारित थी, जिनमें व्यक्ति ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह अपनी रिश्तेदार और नाबालिग पीड़िता के 18 वर्ष का हो जाने के बाद उससे विवाह करेगा।
जिसका जिक्र करते हुए सीजेआई ने सोमवार को कहा, ‘‘हमें याद नहीं कि वैवाहिक बलात्कार का कोई मामला हमारे सामने आया हो… हम महिलाओं का सर्वाधिक सम्मान करते हैं।’’ कोर्ट ने कहा, ‘‘हमारी प्रतिष्ठा हमेशा बार के हाथों में होती है।’’ मामले में दलीलें देने पेश हुए वकीलों ने भी इस बात का समर्थन किया।
बीते सप्ताह खबर आई थी कि चीफ़ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने एक रेप आरोपी से पूछा, ‘‘क्या तुम उससे (पीड़िता) से विवाह करने के इच्छुक हो । अगर उसके साथ तुम्हारी विवाह करने की इच्छा है तो हम इस पर विचार कर सकते हैं, नहीं तो तुम्हें जेल जाना होगा ।’’ पीठ ने आरोपी से यह भी कहा, ‘‘हम तुम पर विवाह करने का दबाब नहीं बना रहे हैं ।’’ इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे।
मामला महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिक प्रोडक्शन कंपनी (एमएसइपीसी) में बतौर टेक्नीशियन कार्यरत अभियुक्त मोहित सुभाष चव्हाण की जमानत याचिका से जुड़ा हुआ है। आरोपी पर 14 साल की स्कूली छात्रा ने रेप का आरोप लगाया गया है। फिलहाल कोर्ट ने शादी के झूठे वादे पर लड़की से बलात्कार करने के आरोपी को गिरफ्तारी से चार हफ्ते की अंतरिम राहत दे दी है।