विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा में केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े दो विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020’ तथा ‘कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा करार विधेयक 2020’ लोकसभा में पहले ही पास हो चुके हैं। ये दोनों विधेयक जून में जारी किए गए दो विधेयकों का स्थान लेंगे।
उपसभापति हरिवंश ने जब दोनों विधेयकों को चर्चा के बाद इन्हें पारित कराने की प्रकिया शुरू की तो आप आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, द्रविड मुनेत्र कषगम और वामदलों के सदस्यों ने इसका विरोध कड़ा विरोध किया और हंगामा करने लगे। हंगामे के दौरान तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने आसन के समक्ष जाकर रूल बुक को फाड़ दिया।
उत्तजेना में डेरेक ओ ब्रायन ने आसन का माइक क्षतिग्रस्त कर दिया जिससे सदन में 1:00 बजकर 14 मिनट पर सदन की ध्वनि प्रणाली (साउंड सिस्टम) खराब हो गई। इसके बादजूद सदस्यों का हंगामा जारी रहने पर सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान सदन व्यवस्थित नहीं था और सदस्य सीटों से आगे आकर नारेबाजी कर रहे थे। विपक्ष इन दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहा था।
कृषि बिल को लेकर राज्यसभा में घमासान, TMC सांसद ने स्पीकर के आगे फाड़ी रूल बुक
दौबारा जब सदन की बैठक शुरू हुई तो विधेयक पारित कराने की प्रक्रिया फिर आरंभ की गई तो विपक्ष दलों के सदस्यों का हंगामा जारी रहा और इस दौरान ध्वनिमत से विधेयक पारित कर दिए गए। कृषि एवं किसान मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को बंद नहीं किया जाएगा और इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आश्वासन दिया है। इन विधेयकों से किसानों को अपनी उपज बेचने के दो विकल्प उपलब्ध होंगे।
इन विधेयकों में किसानों को मंडी से बाहर कहीं भी मनमानी कीमत पर अपनी फसलों की बिक्री की आजादी दी गयी है। इसके साथ ही अनुबंध कृषि का प्रावधान किया गया है। इससे अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती बढेगी और अत्याधुनिक कृषि तकनीक को बढावा मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाना चाहती है और उन्हें फसलों की बुआई के समय ही उसकी उचित कीमत का आश्वासन दिलाने का प्रयास कर रही है कृषि मंत्री के विधेयक पेश करने के पूर्व मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केके रागेश और छह अन्य सदस्यों ने इन विधेयकों से संबंधित अध्यादेशों को निरस्त करने के संकल्प पेश किया।
कृषि बिल को लेकर कांग्रेस का केंद्र पर हल्ला बोल, MSP को कानूनी जिम्मेदारी देने से क्यों भाग रही है सरकार
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान अब अपनी मर्जी से फसलों की बिक्री कहीं भी कर सकेंगे। इसके साथ ही अधिक मूल्य मिलने वाली फसलों की खेती का विस्तार किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को अब फसलों की बुआई के समय ही उसकी उचित कीमत का आश्वासन मिल सकेगा। पहले किसान मनचाहे स्थान और मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच सकते थे।
सदन में विधेयक पारित कराने के दौरान आप पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस सैलजा तथा तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन नारे लगाते हुए सदन के बीचों बीच आ गए और हंगामा करने लगे। इस पर उपसभापति ने सदस्यों वापस जाने की अपील की और कहा कि कोरोना का समय है तथा इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। लेकिन सदस्यों ने शोर शराबा जारी रखा और उपसभापति हरिवंश ने इसी के बीच विधेयक पारित कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी।