विवादास्पद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद केरल सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह इस कानून के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी क्योंकि यह देश की धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को “नष्ट” करता है। माकपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर यह घोषित करने की मांग की है कि संशोधित नागरिकता कानून संविधान के ‘अनुरूप नहीं’ है।
प्रदेश के उद्योग मंत्री ई पी जयराजन ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और इस कानून से लड़ने के लिये सभी विकल्पों पर विचार करेगी। जयराजन ने कहा, “राज्य सरकार किसी भी हद तक जाएगी और सीएए के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी। यह कानून देश में लोकतंत्र को नष्ट करता है।” उन्होंने कहा, “यह सिर्फ आरएसएस के एजेंडे को लागू करने, देश को फासीवादी शासन से चलाने और देश की धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र को नष्ट करने में मदद करेगा।”
शिवाजी से किसी की तुलना नहीं की जा सकती : उदयनराजे भोसले
जयराजन ने कहा, “आरएसएस और संघ परिवार बाहुबल के इस्तेमाल से इस कानून को लागू नहीं करा सकता।” उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “केरल सरकार ने असंवैधानिक सीएए के खिलाफ याचिका दायर की है। सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया है। केरल ने राह दिखाई है।”