छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला प्रशासन ने जाति प्रमाण पत्र मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि शहर के सिविल लाइन्स थाने में गुरुवार देर रात जोगी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बिलासपुर कलेक्टर की ओर से तहसीलदार टी आर भारद्वाज ने जोगी के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। जिला प्रशासन ने पुलिस को जोगी के खिलाफ छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछडा वर्ग (सामाजिक स्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) अधिनियम 2013 की धारा 10 (1) के तहत मामला दर्ज करने को कहा था। इसके बाद जोगी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
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पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है तथा इस संबंध में अभी तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति का पता लगाने के लिए बनी उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने इस महीने की 23 तारीख को जारी किए गए आदेश में जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया है।
समिति ने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही के लिए बिलासपुर जिले के कलेक्टर को प्राधिकृत किया जिसके बाद जोगी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। इधर अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने कहा है कि राज्य सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून के अनुसार नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारों पर विरोधी दल के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
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जोगी ने कहा कि वह इस मामले को लेकर अदालत जाएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री जोगी की जाति को लेकर विवाद छत्तीसगढ़ में पिछले लगभग दो दशक पुराना है। वर्ष 2001 में भारतीय जनता पार्टी के नेता संत कुमार नेताम ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग से जोगी की जाति को लेकर शिकायत की थी।
नेताम के मुताबिक, जोगी ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर स्वयं को आदिवासी बताया है। वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेता और वर्तमान में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने अदालत में परिवाद दायर किया था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया। और वर्ष 2011 में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जाति की छानबीन के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाई जाए और वह अपना फैसला दे।
तब रमन सिंह सरकार ने आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की विशेष सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले की अध्यक्षता में जाति प्रमाण पत्र उच्चस्तरीय छानबीन समिति का गठन किया था। छानबीन समिति ने जोगी को जारी कंवर अनुसूचित जनजाति से संबंधित जाति प्रमाण पत्रों को विधि संगत नहीं पाया था। इसके फलस्वरूप जोगी के जाति प्रमाण पत्रों को जून 2017 में निरस्त कर दिया गया था।
छानबीन समिति के आदेश के खिलाफ जोगी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर में रिट याचिका दायर की थी। तब हाई कोर्ट ने छानबीन समिति के आदेश को निरस्त करते हुए एक बार फिर समिति का गठन करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद राज्य शासन द्वारा फरवरी वर्ष 2018 में समिति का पुनर्गठन किया गया।
आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के सचिव डी डी सिंह की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने जोगी को जारी जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश दिया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद अजीत जोगी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2000 से वर्ष 2003 तक वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
इस दौरान वह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित मारवाही विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। वर्ष 2003 में कांग्रेस जब बीजेपी से पराजित हुई तब रमन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने। अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी को जब कांग्रेस से निष्कासित किया गया था तब जोगी ने नई पार्टी का गठन कर लिया था। अभी वह जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के मुखिया हैं तथा मारवाही विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।