राजीव गांधी हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को मद्रास हाई कोर्ट से पैरोल मिली है। नलिनी अपनी बेटी की शादी का इंतजाम करने के लिए आज वेल्लोर सेंट्रल जेल से एक महीने की लंबी पैरोल पर रिहा हुई है। नलिनी ने मद्रास हाईकोर्ट से 6 महीने की परोल की मांग की थी।
राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन ने अपनी बेटी की शादी का इंतजाम करने के लिए छह महीने की सामान्य छुट्टी मांगी थी। करीब 27 साल से जेल में बंद नलिनी ने कोर्ट से वेल्लोर में महिलाओं के विशेष कारागार के अधीक्षक को उसे कोर्ट के समक्ष पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था ताकि वह व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रख सकें।
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12 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि नलिनी को अपनी याचिका पर दलील रखने के लिए 5 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की अनुमति दी लेकिन यह स्पष्ट किया कि उसे जेल की नियमावली के हिसाब से चलना होगा और पुलिस के साथ सहयोग करना होगा।
पीठ ने कहा, “यह कोर्ट उसके आग्रह को ठुकराने की स्थिति में नहीं है। आखिरकार एक वकील एक पक्ष का महज प्रतिनिधि भर होता है।’’ पीठ ने कहा, “जब पक्ष व्यक्तिगत तौर पर पेश होना और अपनी बात रखना चाहता है, तो अदालत को इससे मना करने की जरूरत नहीं है जब तक कि इसके पीछे कोई ठोस कारण न हो।”
कोर्ट ने सरकारी वकील के तर्क को भी नकार दिया कि अगर नलिनी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने की अनुमति दी गई तो कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पीठ ने कहा,“अतिरिक्त लोक अभियोजक को उसकी पेशी के दौरान कानून-व्यवस्था बिगड़ सकने की आशंका है। लेकिन हमें इस आशंका के संबंध में कोई सामग्री नहीं मिली है।
पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि जेल अधिकारी एवं पुलिस सुरक्षा की दिशा में उचित कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं। इसने कहा, “हम स्पष्ट कर रहे हैं कि याचिकाकर्ता को जेल नियमावली के मुताबिक चलना होगा और पुलिस दल के साथ सहयोग करना होगा।”
कोर्ट ने 11 जून को कहा था कि याचिका पर दलील रखने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने के नलिनी के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता। नलिनी के मुताबिक उम्रकैद की सजा पाने वाला व्यक्ति दो साल में एक बार एक महीने की छुट्टी पाने का हकदार होता है और चूंकि उसने 27 साल से भी अधिक समय से ऐसी सामान्य छुट्टी नहीं ली है, इसलिए उसने 25 फरवरी को जेल के अधिकारियों से छह माह की छुट्टी देने का निवेदन किया था ताकि वह अपनी बेटी की शादी के लिए इंतजाम कर सके।
इसके बाद नलिनी की मां ने भी 22 मार्च को इसी प्रकार का निवेदन किया था। अधिकारियों ने उनके निवेदन पर विचार नहीं किया जिसके बाद नलिनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी को शुरू में मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन बाद में तमिलनाडु सरकार ने 24 अप्रैल 2000 को उसकी सजा उम्र कैद में बदल दी थी।
नलिनी ने दावा किया है कि उसकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किये जाने के बाद से आजीवन कारावास की सजा पाये ऐसे करीब 3,700 कैदियों को तमिलनाडु सरकार रिहा कर चुकी है जो दस साल या इससे कम समय जेल में गुजार चुके हैं।