लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज असम विधानसभा को संबोधित करते हुए संसद और राज्य विधानसभाओं की कार्यवाही में ‘लगातार व्यवधान’ और ‘गरिमा की कमी’ पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कार्यवाही में व्यवधान को नैतिक और संवैधानिक रूप से गलत बताते हुए कहा कि यह उस समय और भी परेशान करने वाला होता है जब ऐसे व्यवधान पूर्व नियोजित होते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने असम विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा, “लोकतंत्र चर्चा और संवाद पर आधारित है। लेकिन सदन में चर्चा के दौरान लगातार व्यवधान और गरिमा की कमी चिंता के विषय हैं।” उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच असहमति स्वाभाविक है लेकिन “असहमति को गतिरोध का कारण नहीं बनना चाहिए।”
लोकसभाध्यक्ष ने राजनीतिक दलों को सलाह दी कि वे जटिल मुद्दों पर चर्चा करें और सुनिश्चित करें कि सदन इस तरह से काम करे कि यह लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करे। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही में बाधा डालना नैतिक और संवैधानिक रूप से सही नहीं है। कई बार व्यवधान पूर्व नियोजित होते हैं। इस तरह का आचरण और भी परेशान करता है।
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उन्होंने कहा कि व्यवधान और कार्यवाही का स्थगन भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं का हिस्सा नहीं है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने को कहा। बिरला ने कहा कि भारत जैसा विविधतापूर्ण देश संसदीय लोकतंत्र से जुड़ा हुआ है और देश आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है, इसलिए यह फिर से गौर करना आवश्यक हो गया है कि सदन, जो व्यवस्था का एक अभिन्न अंग है, किस प्रकार काम करता है।
बिरला असम विधानसभा को संबोधित करने वाले पहले लोकसभाध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि राज्य विविधता में एकता का एक जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा, “असम वह सेतु है जो समृद्ध विविधता वाले पूर्वोत्तर हिस्से को शेष भारत से जोड़ता है। यह विविधता हमारे लोकतंत्र को और लचीला बनाती है।” ओम बिरला ने विधान भवन के केंद्रीय कक्ष में एक कार्यक्रम में असम विधान सभा डिजिटल टीवी की शुरुआत की।