उत्तराखंड में पिछले कई दिनों से जारी सियासी हलचल पर विराम लग गया है। तीरथ सिंह रावत के शुक्रवार की रात अपने पद से इस्तीफा देने के बाद अब उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बीजेपी विधायक पुष्कर सिंह धामी होंगे। उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री तय करने के लिए भाजपा विधायक दल की बैठक हुई जिसमें उनके नाम पर मुहर लगाई गई। इसके साथ ही उत्तराखंड को चार महीने में तीसरा मुख्यमंत्री मिल गया है।
धामी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक ने रखा
भारतीय जनता पार्टी के राज्य मुख्यालय में बतौर पर्यवेक्षक केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पार्टी मामलों के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम और निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनका नाम सर्वसम्मति से तय हुआ। विधायक दल की बैठक के बाद तोमर ने बताया कि धामी के नाम का प्रस्ताव निवर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक ने रखा जिसका अनुमोदन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई विधायकों ने किया।
धामी को उंगली पकड़कर राजनीति में लाए थे कोश्यिारी
उन्होंने बताया कि बैठक में धामी के अलावा किसी और के नाम का प्रस्ताव नहीं रखा गया जिसके बाद उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया। छात्र राजनीति से जुड़े रहे 45 वर्षीय धामी महाराष्ट्र के राज्यपाल और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यिारी के करीबी हैं और माना जाता है कि कोश्यिारी उन्हें उंगली पकड़कर राजनीति में लाए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने पूरे केंद्रीय नेतृत्व का आभार
धामी के नाम का ऐलान होते ही उनके समर्थकों ने जमकर उनके नाम के नारे लगाए और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। समर्थकों के जयकारों के बीच धामी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने पूरे केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने इस जिम्मेदारी के लिए उन पर भरोसा किया। उन्होंने कहा कि वह पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र कनालीछीना में एक पूर्व सैनिक के घर में पैदा हुए लेकिन खटीमा उनकी कर्मभूमि है।
प्राथमिकता जनता की सेवा है जिसके लिए वह पूरे मन से करेंगे काम
वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से वह न केवल हर चुनौती को पार करेंगे बल्कि अपने पूर्ववर्तियों द्वारा किए गए कार्यों को आगे बढाएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता जनता की सेवा है जिसके लिए वह पूरे मन से काम करेंगे।
बता दें कि इससे पहले पार्टी में इस बात की जोरदार चर्चा थी कि इस बार के मुख्यमंत्री के विधायकों में से ही चुने जाने की सबसे ज्यादा संभावना है, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव अगले आठ महीनों में होने हैं। उत्तराखंड भाजपा के एक नेता ने कहा, “कोई नहीं जानता कि उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री कौन चुना जाएगा, लेकिन किसी भी संवैधानिक संकट से बचने के लिए नेतृत्व किसी विधायक को इस पद के लिए अनुमति दे सकता है।”
गढ़वाल से लोकसभा सदस्य रावत को नियमानुसार मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर निर्वाचित विधायक के रूप में शपथ लेने की जरूरत है। रावत को अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर से पहले राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित होना था, जो कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधान के कारण नहीं हो सका है।