पूर्वी लद्दाख को लेकर भारत और चीन के बीच हुई 13वें दौर की सैन्य वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। वहीं पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिशें जारी है। इस बीच शिवसेना ने केंद्र सरकार से चीन और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही है। शिवसेना का कहना है कि अगर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गयी तो ये दोनों देश साथ आकर भारत के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
शिवेसना ने अपन मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का नाम लिए बिना उसे ‘‘पॉलिटिकल ईस्ट इंडिया कम्पनी’’ बताया गया और कहा कि चीन लगातार घुसपैठ कर रहा है और भारत बातचीत में ही लगा है। पार्टी ने चीन को ‘‘अग्रणी साम्राज्यवादी राष्ट्र’’ भी करार दिया।
जम्मू-कश्मीर में हिंदू और सिखों पर हुए हालिया हमलों की पृष्ठभूमि में सम्पादकीय में कहा गया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और घाटी से हिंदू भाग रहे हैं। यह बीजेपी जैसी पार्टी को शोभा नहीं देता, जो हिंदुत्व का समर्थन करती है। सामना में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को ऐसे लोगों को दर्द समझना चाहिए।’’
13वें दौर की सैन्य वार्ता रही बेनतीजा, चीन ने कहा- अनुचित और अवास्तविक मांग उठा रहा है भारत
सम्पादकीय में कहा गया कि तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से कश्मीर में हिंसक घटनाएं बढ़ गई हैं। भारत और चीन की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए उसने कहा कि मुद्दों पर 13 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही।
सम्पादकीय में कहा, ‘‘जनमुक्ति सेना के अधिकारी वार्ताएं तो लंबी-लंबी करते हैं, लेकिन अंत में करते वहीं है, जो वह करना चाहते हैं। चीन रचनात्मक बदलावों के लिए तैयार नहीं है।’’ सम्पादकीय में दावा किया गया कि कश्मीर में पाकिस्तान के हर एक कृत्य को चीन का समर्थन हासिल है। ‘‘अलोकतांत्रिक’’ ताकतें जो अफगानिस्तान में सत्ता में हैं, उन्हें भी चीन का समर्थन हासिल है।
शिवसेना ने सम्पादकीय में कहा, ‘‘सरकार ने कड़ी कार्रवाई नहीं की, तो चीन और पाकिस्तान एक साथ आएंगे और भारत के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न करेंगे। देश की ‘पॉलिटिकल ईस्ट इंडिया कम्पनी’ को यह समझना चाहिए।’’
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच 17 महीने से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है और 13वें दौर की सैन्य बातचीत के बाद ही कोई समाधान नहीं निकला है। भारतीय सेना ने सोमवार को कहा था कि उसके द्वारा दिए गए ‘‘सकारात्मक सुझावों’’ पर चीन की सेना सहमत नहीं हुई और ना ही उसने आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव दिया।