अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के महासचिव हरीश रावत ने बुधवार को कहा कि अगले साल होने वाला पंजाब विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उनका यह बयान नवजोत सिंह सिद्धू खेमे के उन मंत्रियों को एक झटका है जो मुख्यमंत्री को हटाने की मांग कर रहे हैं । रावत ने मुख्यमंत्री को पद से हटाए जाने की इच्छा रखने वाले चार मंत्रियों और पार्टी के तीन विधायकों से देहरादून में मुलाकात की।
उन्होंने कहा, ‘‘नवजोत सिंह सिद्धू एक अलग पृष्ठभूमि से आते हैं। हमने भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें कांग्रेस की पंजाब इकाई का अध्यक्ष बनाया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूरी पार्टी उन पर छोड़ दी गई है।’’ रावत ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी की पंजाब इकाई के पास नेताओं की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सिद्धू जी वहां हैं, अमरिंदर सिंह वहां हैं, राजिंदर सिंह बाजवा वहां हैं, सुखजिंदर सिंह रंधावा वहां हैं और सबसे ऊपर अंबिका सोनी जैसी दिग्गज वहां हैं। मुद्दे के समाधान के लिए उन सभी को विश्वास में लिया जाएगा।’’
पंजाब के मंत्रियों-तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा कई कांग्रेस विधायकों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को हटाने जाने की मांग करते हुए कहा था कि वह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे। रावत एआईसीसी में पंजाब मामलों के प्रभारी भी हैं और उनकी इस घोषणा को असंतुष्ट नेताओं के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में अमरिंदर सिंह नीत सरकार और आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर कोई खतरा नहीं है। रावत ने देहरादून स्थित एक होटल में पंजाब के मंत्रियों और तीन विधायकों से मिलने से पहले कहा, “हम 2022 में (पंजाब में) चुनाव अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेंगे।” कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के बाद रावत ने कहा कि उन लोगों ने उनसे कहा कि वे किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं।
यह पूछे जाने पर कि मुलाकात करने वाले नेताओं ने क्या मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की, रावत ने कहा कि जो भी चर्चा हुई, वह मीडिया के साथ साझा करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि विधायक एक मामला लेकर आए जिसका समाधान पार्टी नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर किया जाएगा। रावत ने कहा, ‘‘यदि कोई कांग्रेस विधायक असुरक्षित महसूस करता है और उसे लगता है कि प्रशासन उसके खिलाफ काम कर सकता है तो यह चिंताजनक है।’’
उन्होंने हालांकि कहा कि यदि कोई किसी से नाराज है तो यह कांग्रेस के रास्ते में नहीं आना चाहिए और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है कि वह एकजुट होकर चुनाव लड़े। रावत ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने पार्टी आलकमान पर पूरा विश्वास जताया। कांग्रेस महासचिव ने बताया कि उन्होंने नेताओं से कहा कि जरूरत पड़ने पर वह संबंधित लोगों से बात करेंगे। इस सवाल पर कि कुछ मंत्री मुख्यमंत्री से नाराज हैं, रावत ने कहा, ‘‘ऐसा होता है। यह संभव है। वे यहां आए क्योंकि मैं वहां नहीं जा सका।’’
रावत ने कहा कि वह एक-दो दिन में दिल्ली जाएंगे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगे। बैठक के बाद पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने संवाददाताओं से कहा कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों से रावत को अवगत कराया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पंजाब के मुद्दों को उठाया जो अब भी नहीं सुलझे हैं और उन्होंने (रावत) हमारी बात सुनी तथा हमसे कहा कि वह मुद्दों को आलाकमान के सामने रखेंगे।’’ चन्नी ने कहा, ‘‘हम उनके (रावत) आश्वासन पर वापस जा रहे हैं। यदि पार्टी आलाकमान बुलाएगा तो हम दिल्ली जाएंगे।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान जो निर्णय करेगा, वे उसका पालन करेंगे। चन्नी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘कल जो हुआ, हम उसपर कायम हैं।’’ मंत्रियों के साथ देहरादून पहुंचे कांग्रेस विधायकों में कुलबीर सिंह जीरा, सुरजीत धीमान और बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा थे।
इससे पहले, आज कांग्रेस सांसद परनीत कौर ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को हटाए जाने की मांग कर रहे असंतुष्ट नेताओं पर निशाना साधा और पार्टी की राज्य इकाई की मौजूदा स्थिति के लिए प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया। अमरिंदर सिंह की पत्नी कौर ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत करने वालों से कहा कि वे ऐसे मुद्दों को उठाने से परहेज करें क्योंकि यह 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को ‘नुकसान’ पहुंचा रहा है।