पंजाब कांग्रेस शुरू हुआ अंदरूनी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। पार्टी आलाकमान लगातार मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद को समापत करने में लगे हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद इस कलह को समाप्त करने की कोशिशें कर रही हैं। इस बीच पंजाब कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा, पंजाब में कांग्रेस अखंड है और मजबूती से चुनाव लड़ेगी।
राज्य कांग्रेस में जारी खींचतान पर मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा, पंजाब में राजनीतिक संकट नहीं है। कांग्रेस अखंड है और मजबूती से चुनाव लड़ेगी। अगर किसी व्यक्ति का अपना कोई एजेंडा है और वो एजेंडा ट्विटर या किसी और माध्यम से चलाना चाहते हैं तो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।
गौरतलब है कि कांग्रेस की पंजाब इकाई में कलह को लेकर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और कहा कि आलाकमान जो भी फैसला करेगा, वह सबको स्वीकार होगा। सोनिया से मुलाकात के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘ सरकार या कांग्रेस को लेकर जो फैसला कांग्रेस अध्यक्ष करेंगी, हम उसे स्वीकार करेंगे। हम निर्णयों को पंजाब में लागू करेंगे...पंजाब में हम चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’
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प्रदेश कांग्रेस में यह संकट आरंभ होने के बाद अमरिंदर सिंह की कांग्रेस आलाकमान के साथ यह पहली मुलाकात थी। पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू दोनों, के लिए सम्मानजनक स्थिति वाले फॉर्मूले से पंजाब में पार्टी की कलह को दूर करने और कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है।
सूत्रों की मानें तो सिद्धू को चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख या संगठन या सरकार में कोई दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है, हालांकि चर्चा यह भी है कि अमरिंदर सिंह अपने विरोधी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपे जाने के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस की पंजाब इकाई में चल रही रस्साकशी से अवगत एक सूत्र ने बताया, ‘‘सहमति का फार्मूला जल्द ही सामने आ सकता है। अगर सिद्धू को सरकार में कोई भूमिका दी जाती है या फिर चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया जाता है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद किसी हिंदू नेता को दिया जा सकता है।’’
सूत्रों का कहना है कि अगर अमरिंदर सिंह की इच्छा के मुताबिक उनके करीबी किसी हिंदू नेता को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी जाती है तो इस जिम्मेदारी के लिए दावेदार नेताओं में सांसद मनीष तिवारी और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विजय इंदर सिंगला सबसे प्रमुख हैं।
दूसरी तरफ, सिद्धू और उनका समर्थक गुट भी आलाकमान से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी की उम्मीद कर रहा है। सिद्धू ने गत बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के साथ लंबी बैठक की थी। सूत्रों ने बताया कि इन बैठकों में कांग्रेस आलाकमान की ओर से सिद्धू को पार्टी या संगठन में सम्मानजनक स्थान की पेशकश के साथ मनाने का प्रयास किया गया।
कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी की पंजाब इकाई के संकट को दूर करने के लिए हाल ही में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस के 100 से अधिक विधायकों, सांसदों और नेताओं के साथ चर्चा की।
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिनों पहले आलाकमान की ओर से समिति के माध्यम से मुख्यमंत्री से कहा गया था कि वह उन 18 मुद्दों को लेकर रूपरेखा तैयार करें, जिन पर प्रदेश सरकार को कदम उठाना है। इनमें भूमि और परिवहन माफिया तथा गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा शामिल है।
हाल के कुछ सप्ताह में सिद्धू और पंजाब कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ बिजली सहित विभिन्न मुद्दों पर मोर्चा खोल रखा है। सिद्धू का कहना है कि गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए भी कारगर कदम नहीं उठाए गए।