लुधियाना-संगरूर : सात समुद्र पार बसे आस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन शहर में दो साल पहले मारे गए पंजाबी नौजवान मनमीत अलीशेरा के कातिलों को अदालती मुकदमे के लिए अयोगय करार दिए जाने की घोषणा के उपरांत पंजाब से जुड़े उसके वारिसों और चाहनेवालों के लिए आज का दिन काफी दुखदाई था।
पंजाब के जिला संगरूर स्थित गांव अलीशेरा में जन्मे मनमीत के पिता श्री रामस्वरूप जी शिक्षा विभाग में अध्यापक के तौर पर कार्य करते रहे है और उनकी माता श्रीमती किशनदीप कौर भी उच्च विचारों की महिला है, जिन्होंने मनमीत को मन के मीत और जग के मीत बनाने की तरफ प्रेरित किया और मनमीत भी हमेशा समाज को बदलने की सोच रखता था और इसी सोच के चलते उसने 12वी की परीक्षा के बाद कलामंच के माध्यम से समाज को नई सोच देने का जरिया बनाया।
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नाटक और रंगमंच में अपनी कला को निखारते हुए खालसा कालेज पटियाला से साइंस और ग्रेजुएशन करने के बाद 2006 में इंटर यूनिवर्सिटी मुकाबलों में मनमीत के द्वारा खेला गया नाटक देश भर में दूसरे स्थान पर रहा। और इसके अलावा साहित्य की दुनिया में अपना रास्ता कायम रखते हुए उसने स्वयं के द्वारा लिखे गए सैकड़ों गीत भी मंच की हाजिरी में गाएं। इसी होनहार नौजवान और उभरते गायक मनमीत अलीशेरा को एक गोरे सिरफिरे ने 28 अक्तूबर 2016 को उस वक्त आग लगाकर कत्ल कर दिया था, जब वह प्रतिदिन की तरह सिटी बस में सवार सवारियों को मारूका से लेकर वापिस ब्रिसबेन शहर आ रहा था।
ब्रिसबेन के अदालती जार्ज स्टरीट कोम्पलैक्स की पांचवी मंजिल के कमरा न. 10 में जज साहिबान मैडम डालटन की अध्यक्षता में इस मुकदमे की कानूनी कारवाई शुरू हुई तो उनके साथ मनोविज्ञानिक सहायक जज डॉ एफटी वर्गिस और डॉ ईएन मेक्वी ने अपने विचार बताएं। जज ने 4 डॉक्टरों और 2 सहायक मनोविज्ञानिक डॉक्टरों के साथ सहमति देते हुए अपने फैसले में आरोपी को मानसिक रोगी माना और मेनटल हैल्थ अस्पताल में कम से कम 10 साल से अधिक दिमागी बीमारी से संबंधित रोगियों को रखने वाले सुरक्षात्मक स्थान पर रखने का हुकम दिया। अदालत ने आज मनमीत के पिता रामस्वरूप सिंह, अमित शर्मा और दोस्त विनरजीत गोलडी, जिनका संबंध पंजाब के संगरूर से है, अपने अन्य दोस्तों के साथ उपस्थित थे।
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मनमीत अलीशेरा की मौत के बाद उसके कातिल को दी गई सजा से असहमति जताते हुए पंजाब भर में आक्रोश की लहर है। संगरूर के गांव अलीशेरा के गांववासियों का स्पष्ट कहना है कि यह समस्त मामला नस्ली हिंसा का है।
मनमीत के चाचा के लडक़े वरिंद्र और हरप्रीत ने कहा कि उनके भाई का किसी से वैरभाव नही था, उन्होंने घअना के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि 29 वर्षीय मनमीत पर अचानक बस में सवार 48 वर्षीय गोरे ने बस पर चढ़ते ही ज्वलनशील पदार्थ फेंककर आग लगाई थी, जिससे मनमीत की मौके पर ही मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि मनमीत ब्रिसबेन में पंजाबी साहित्य और उभरते गायक के तौर पर जाना-पहचाना नाम था और उसके मिलनसार स्वभाव के चलते पंजाबी लोग उसे बेहद प्यार करते थे।
मनमीत 8 साल पहले पढ़ाई की खातिर आस्ट्रेलिया चला गया था और मौत से 6 माह पहले ही उसे बस सर्विस कंपनी में बतौरे ड्राइवर का काम करने का लाइसेंस प्राप्त हुआ था। फिलहाल मनमीत के चाहने वाले न्याय प्राप्त करने के लिए ऊपरी अदालत में जाने का मन बना रहे है।
– सुनीलराय कामरेड