राजस्थान में एक सहकारी बैंक ने लोन न चूका पाने की वजह से एक किसान की जमीन को नीलम कर दिया, यह घटना राजस्थान के दौसा इलाके में हुई। दरअसल एक किसान की मृत्यु के बाद उसके परिवार द्वारा लोन चुकाने में विफल रहने के बाद, उसकी भूमि को 46 लाख रुपये में नीलाम कर दिया गया। बता दें कि प्रशासन ने फिलहाल जमीन की नीलामी रद्द कर किसान और बैंक के बीच समझौता करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
प्रशासन ने रद्द करवाई जमीन की नीलामी
इस मामले में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि एक किसान की जमीन की नीलामी की प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है और किसान और बैंक के बीच एक समझौता प्रक्रिया शुरू की गई है। अनुमंडल दंडाधिकारी मिथलेश मीणा ने इसे और जोड़ते हुए बताया कि किसान ने राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक से कर्ज लिया था, लेकिन चुकाने में असफल रहा।
किसान के बेटे ने लोन चुकाने के लिए बैंक से मांगा था समय
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, किसान पप्पू लाल के बेटे ने भी अपनी जमीन नीलाम होने की बात कही और कहा, “मेरे पिता ने बैंक से कर्ज लिया था और अब उनकी मृत्यु हो गई है। चूंकि हम ऋण राशि चुकाने में असमर्थ थे, बैंक ने जमीन की नीलामी करने का फैसला किया। अगर वे हमारी जमीन बेचते हैं, तो हमारे लिए गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा। हमने बैंक अधिकारियों से हमें ऋण राशि के पुनर्भुगतान के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।”
किसान के परिवार से मिलने पहुंचे राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बुधवार रात किसान के परिवार से मिलने पहुंचे, उन्होंने कहा कि प्रशासन ने जिस किसान परिवार की जमीन नीलाम की है. हमने उसके परिवार से मुलाकात की। बाद में टिकैत ने ने ट्विटर पर जानकारी दी कि वह गुरुवार को प्रशासन के अधिकारियों के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे। उसी के संबंध में, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार की आलोचना की, जो लोगों से कई ऋण माफी के वादे करने के बावजूद किसानों के हितों की रक्षा करने में विफल रही है।
किसान की जमीन की नीलामी पर शुरू हुई सियासत
इस पर ट्वीट करते हुए पीयूष गोयल ने कहा, ‘राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने किसानों के प्रति क्रूरता की हद पार कर दी है। कांग्रेस शासित राज्य में कर्जमाफी का झूठा आश्वासन देकर किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं और उन्हें मजबूर किया जा रहा है। यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नाकामी और अमानवीयता की मिसाल है।