नई दिल्ली : जब से भारतीय हॉकी ने पेशेवर तेवर अपनाए हैं, देश में खेल के लिए माहौल सुधरने की बजाय बिगड़ा है, देश के पूर्व खिलाड़ियों और हॉकी आयोजकों का ऐसा मानना है। ख़ासकर, हॉकी इंडिया लीग के आयोजन के बाद से आम खिलाड़ी की मुश्किलें बढ़ी हैं और सबसे ज़्यादा मार Hockey आयोजनों पर पड़ी है। हालांकि हॉकी इंडिया लीग के फिर से शुरू होने के आसार कम ही नज़र आ रहे हैं परंतु अन्य कई आयोजन या तो बंद होने की कगार पर हैं या जल्दी ही दम तोड़ सकते हैं।
हो सकता है कुछ एक को दिल्ली से बाहर शरण लेनी पड़ जाए। बेशक, भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम की अत्यधिक व्यस्तता के चलते घरेलू आयोजनों का आकर्षण कम हुआ है और स्टार खिलाड़ी बड़े आयोजनों में खेल नहीं पा रहे। लेकिन सारे फ़साद की जड़ Hockey इंडिया को माना जा रहा है। दिल्ली में आयोजित होने वाले नेहरू Hockey और शास्त्री हॉकी टूर्नामेंट ताज़ा शिकार हैं। इन्हें शिवाजी स्टेडियम से इसलिए बेदखल होना पड़ रहा है क्योंकि Hockey इंडिया ने नोआबजेक्शन सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया है।
Hockey इंडिया के अनुसार शिवाजी स्टेडियम की पिच फिसलन भरी है और खिलाड़ियों को चोट लगने का डर है। राजधानी के नेशनल स्टेडियम का आलम यह है कि आम खिलाड़ी और Hockey प्रेमियों को अंदर जाने तक की अनुमति नहीं है। देश में खेलों का माहोल बनाने का दावा करने वाली सरकार के कई कार्यालय स्टेडियम में कब्जा जमाए हैं। सवाल यह पैदा होता है कि हॉकी कहां खेलें? क्योंकि स्टेडियम उपलब्ध नहीं हैं इसलिए स्थानीय लीग भी कई सालों से ठप्प पड़ी है।
मनप्रीत संभालेंगे हॉकी टीम की कप्तानी
– राजेंद्र सजवान