मानवता को शर्मसार करने वाली हाथरस में चंदपा क्षेत्र की घटना की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गयी है। वहीं मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज किया है और जांच पड़ताल शुरू कर दी है। एजेंसी ने इस मामले में एक टीम गठित की है।
सूत्रों के अनुसार सीबीआई इस मामले में यह पता करने की कोशिश करेगी कि 14 सितंबर को खेत में लड़की को किसने मारा? लड़की ने पहले दिन वाले बयान में अपने साथ कथित बलात्कार की बात क्यों नहीं की? वहीं एजेंसी यह भी पता करेगी कि पीड़िता ने आखिरी बयान में बलात्कार की बात की लेकिन मेडिकल रिपोर्ट इसके विपरीत क्यों है? वहीं 29 सितंबर को पीड़िता की मौत के बाद आनन-फानन में रात के अंधेरे में उसकी लाश क्यों जला दी गई?
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने रविवार सुबह भारतीय दंड संहिता की सामूहिक बलात्कार और हत्या से संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की। इससे पहले मृतका के भाई की शिकायत पर हाथरस जिले के चंदपा थाने में इस घटना के संबंध में मामला दर्ज किया गया था।
सीबीआई के प्रवक्ता आर. के गौड़ ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता ने 14 सितंबर को आरोप लगाया था कि आरोपियों ने बाजरे के खेत में उसकी बहन का गला घोंटने की कोशिश की। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर और उसके बाद भारत सरकार की अधिसूचना के बाद सीबीआई ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है।’’ उन्होंने बताया कि मामले की जांच के लिए एजेंसी ने एक दल का गठन किया है।
सूत्रों ने बताया कि प्रदेश सरकार की अनुशंसा के बाद जांच एजेंसी ने मामला अपने हाथ में ले लिया है और जल्द ही मामले की रेगुलर एफआईआर दर्ज की जायेगी। केंद्र सरकार की डीओपीटी विभाग के नोटिफिकेशन के बाद सीबीआई ने हाथरस केस को टेकओवर किया है। अभी फिलहाल मामले की जांच एसआईटी कर रही है। एसआईटी को अपनी रिपोर्ट दस दिनों के भीतर प्रेषित करनी थी लेकिन उसका कार्यकाल बढ़ा दिया गया है।
बता दें कि हाथरस में 16 सितम्बर को हैवानियत की शिकार लड़की ने 20 सितम्बर को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया था जिसके बाद मचे सियासी बवाल के बीच पहले मामले की जांच के लिये एसआईटी की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया था लेकिन बाद में सीएम योगी ने तीन अक्टूबर को केंद्र से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस मामले में चार युवकों को गिरफ्तार किया गया है। मामले की सीबीआई जांच से हालांकि परिजन संतुष्ट नहीं है। उनकी मांग है कि इस संवेदनशील मामले की न्यायिक जांच हो।