उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों के नतीजों से पहले ईवीएम को लेकर बवाल मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के आह्वान पर सपाइयों ने वाराणसी में जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। इस बीच वाराणसी के कमिश्नर ने माना कि ईवीएम के प्रोटोकॉल को लेकर गलती हुई है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि विचाराधीन वोट मशीनें केवल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए थीं।
वाराणसी के डिविशनल कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने वाराणसी में बीती देर रात को मतगणना स्थल के पास सपाइयों के हंगामे के दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि पोलिंग में इस्तेमाल हुई ईवीएम के लिस्ट का मिलान रोकी गई गाड़ी में रखी ईवीएम से कर लीजिए, मिलान करने के बाद अगर नंबर एक निकलते हैं तो हम दोषी माने जाएंगे।
उन्होंने कहा कि “यदि आप ईवीएम की आवाजाही के लिए प्रोटोकॉल के बारे में बात करते हैं, तो प्रोटोकॉल में चूक हुई थी, मैं इसे स्वीकार करता हूं। लेकिन मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि मतदान में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को ले जाना असंभव है।” उन्होंने कहा, “राजनीतिक दल के कार्यकर्ता नजर रखने के लिए केंद्रों के बाहर भी बैठ सकते हैं।”
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दरअसल, अखिलेश यादव ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में वाराणसी में ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। कहा कि अगर ईवीएम को हटाना है तो प्रत्याशी को बताएं। आगे कहा ये लोकतंत्र की आखिरी लड़ाई है। मैं सभी पार्टी के लोगों से कहूंगा कि लोकतंत्र बचाएं। ये लोकतंत्र के लिए बहुत खतरे का समय है।
कहां से हुई हंगामे की शुरुआत?
वाराणसी के पहड़िया मंडी में स्थित खाद्य गोदाम के पास सपाइयों ने उस समय जबरदस्त हंगामा कर दिया, जब खाद गोदाम के स्टोरेज से ईवीएम निकल कर ट्रेनिंग स्थल स्थित यूपी कॉलेज के लिए जा रही थीं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ईवीएम को बदला जा रहा है, तो वहीं जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने अपना लिखित में बयान जारी किया है।
जिलाधिकारी ने कहा, ‘प्रशिक्षण हेतु EVM मंडी में स्थित अलग खाद्य गोदाम में बने स्टोरेज से UP कॉलेज जा रही थीं। कुछ राजनैतिक लोगों ने वाहन को रोककर उसे चुनाव में प्रयुक्त EVM कहकर अफवाह फैलाई है। कल काउंटिंग ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की द्वितीय ट्रेनिंग है और हैंड्स ऑन ट्रेनिंग हेतु ये मशीनें ट्रेनिंग में हमेशा इस्तेमाल होती हैं।’