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अयोध्या मामला: जिलानी बोले- सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले का हम पर कोई असर नहीं

जफरयाब जिलानी ने बताया, हम तो याचिका दाखिल करेंगे। याचिका दाखिल न करने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले का हम पर कोई असर नहीं होगा। हमारे पास नौ दिसम्बर तक का वक्त है। हम उससे पहले दाखिल कर देंगे।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के विपरीत अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल करने के फैसले पर कायम रहने की बात कहते हुए आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस याचिका दाखिल करने का इरादा जताने वाले मुद्दई मुस्लिमों को प्रताड़ित कर रही है।
जिलानी ने बुधवार को बताया, ”हम तो याचिका दाखिल करेंगे। याचिका दाखिल न करने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले का हम पर कोई असर नहीं होगा। हमारे पास नौ दिसम्बर तक का वक्त है। हम उससे पहले दाखिल कर देंगे। उसकी तारीख अभी नहीं बतायी जा सकती क्योंकि यह किसकी तरफ से होगी, इस पर फैसला होना अभी बाकी है।” 
उन्होंने आरोप लगाया कि अयोध्या की पुलिस राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मुद्दई रहे मुस्लिम पक्षकारों को यह कहते हुए परेशान कर रही है कि अगर वे पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे तो उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में डाल दिया जाएगा।” 

सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले से अयोध्या के संत व मुस्लिम पक्षकार खुश

जिलानी ने कहा कि याचिका किसकी तरफ से दाखिल होगी, अभी उनका नाम नहीं बताया जा सकता, क्योंकि पुलिस उन्हें घर में घुसकर धमका रही है। पुलिस के रवैये की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि मुमकिन है कि वह उच्चतम न्यायालय में दाखिल होने वाली याचिका में भी पुलिस की इस हरकत का जिक्र करें। अगर कोई मुद्दई वक्त से न्यायालय नहीं पहुंचा तो वह न्यायालय से इसकी शिकायत करके सुरक्षा मांगेंगे और कार्रवाई की मांग करेंगे। 
जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड में लिये गये फैसलों का हम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने का वक्फ बोर्ड का बयान तो गत 17 नवम्बर को आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक वाले दिन ही आ गया था। 
मालूम हो कि अयोध्या मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में आम राय से फैसला किया गया कि बोर्ड इस मामले में गत नौ नवम्बर को उच्चतम न्यायालय द्वारा विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के दिये गये निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल नहीं करेगा। 

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