इमरान खान की चीन यात्रा के दौरान अजहर मामले पर मिली ‘कामयाबी’ - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

इमरान खान की चीन यात्रा के दौरान अजहर मामले पर मिली ‘कामयाबी’

इस्लामाबाद : संयुक्त राष्ट्र से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में ‘सफलता’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हाल में हुई चीन यात्रा के दौरान मिली।

इस्लामाबाद : संयुक्त राष्ट्र से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में ‘सफलता’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हाल में हुई चीन यात्रा के दौरान मिली। उनकी यात्रा के दौरान दोनों पक्ष जैश-ए-मोहम्मद के सरगना को काली सूची में डालने के नए कदम से अपना विरोध वापस लेने को राजी हुए। मीडिया में आई खबर में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी गई है।

संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति ने बुधवार को पाकिस्तान स्थित जैश के सरगना अजहर को अल कायदा के साथ संबंधों को लेकर वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में भीषण आतंकी हमले के कुछ दिन बाद फरवरी में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति में एक प्रस्ताव लेकर आए थे। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 कर्मी शहीद हो गए थे।

करतारपुर गलियारा : पाकिस्तान ने नहीं दिया भारत की आपत्तियों का जवाब

15 सदस्य राष्ट्र वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अजहर को काली सूची में डालने की कोशिश पर वीटो की ताकत रखने वाले चीन ने रोड़ा अटका दिया। चीन ने 2009 से चौथी बार अजहर को वैश्विक आतंकी करार देने की राह में ‘तकनीकी रोक’ लगाकर रोड़ा अटकाया था। उसने प्रस्ताव का परीक्षण करने के लिए ‘और वक्त’ मांगा था।

अजहर पर प्रतिबंध लगाने के कुछ घंटों बाद पाकिस्तानी अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि अजहर के मुद्दे पर कोई निर्णय करने से पहले पाकिस्तान और चीन ने गहन चर्चा की।

खबर में कहा गया है, ‘‘माना जाता है कि यह कामयाबी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन की यात्रा के दौरान मिली जहां दोनों पक्षों ने नए कदम पर से अपना विरोध वापस लेने पर सहमति जताई, क्योंकि उन्हें यह लगा कि इस्लामाबाद की चिंताओं का निपटारा किया गया है।’’

खान, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की ओर से 25 से 27 अप्रैल तक आयोजित ‘दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम’ में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग गए थे। इस दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने चीनी समकक्ष ली किकियांग और उपराष्ट्रपति वांग किशान से मुलाकात की थी।

बीजिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गैंग शुआंग ने बुधवार को कहा था कि चीन ने ‘‘संशोधित सामग्री का ध्यान से अध्ययन करने’ के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली है जिससे अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया गया है। अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का अर्थ यह होगा कि उस पर यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और हथियार प्रतिषेध लागू होगा।

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ को सूत्रों ने बताया कि वैश्विक आतंकी घोषित करने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति को हिरासत में लिया जाना चाहिए। एक अन्य अधिकारी ने दावा किया कि अधिकारियों को अजहर के ठिकाने के बारे में ‘जानकारी’ नहीं है।

पुलवामा हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर होने के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने स्वीकार किया था कि अजहर पाकिस्तान में हैं। उन्होंने कहा था कि जैश का सरगना ‘इतना बीमार’ है कि वह अपने घर तक से बाहर नहीं निकल सकता है।

अखबार की खबर में दावा किया गया है कि अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए इस्लामाबाद के राज़ी होने का मतलब देश के नजरिए में ‘भारी बदलाव’ आना है। एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान ने सार्वजनिक रूप से वादा किया था कि पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।

‘वाशिंगटन पोस्ट’ अखबार ने खबर दी है कि अमेरिका ने अजहर को संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में डालने की मांग की थी जिसके कुछ हफ्तों बाद अजहर पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।

वाशिंगटन में अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन ने 10 साल बाद अपनी रोक हटाकर अच्छा काम किया है।

अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले के बाद चीन पर दबाव बनाने के लिए ब्रिटेन और फ्रांस ने अमेरिका का साथ दिया है और लगता है कि चीन को यह समझ में आ गया था कि आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी कार्रवाई उसके बयानों से मेल खानी चाहिए।

इस बीच हांगकांग के प्रमुख एक अखबार ने खबर दी है कि चीन ने अपनी रोक को हटाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उसे लगने लगा था कि बीजिंग इस मुद्दे पर अलग-थलग पड़ जाएगा।

‘ साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने खबर दी है कि बीजिंग को इस बात को लेकर चिंता हो रही थी कि जब दुनियाभर में आतंकवाद को लेकर चिंताएं उभर रही है तो उसे राजनयिक तौर पर अलग-थलग कर दिया जाएगा। वहीं कुछ ने दलील दी कि प्रस्ताव के शब्दों में बदलाव की वजह से चीन के रूख में बदलाव आया। शब्दों के इस्तेमाल में बदलाव की वजह से चीन का पुराना घनिष्ठ सहयोगी नाराज नहीं हुआ।

भारत में पूर्व चीनी राजनयिक झांग जियांडान्ग ने कहा कि चीन की ओर से भारत को दी गयी राजनयिक छूट है और यह कूटनीतिक समर्थन का संकेत है।

उन्होंने कहा कि चीन के रूख में बदलाव अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव का नतीजा है न कि भारत सरकार के एकतरफा दबाव का परिणाम है। उन्होंने कहा, ‘‘ अतीत में, हमने मुख्य रूप से पाकिस्तान के रवैये को ध्यान में रखा, लेकिन अब हमें भारत और शेष अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ पाकिस्तान के संबंधों को संतुलित करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eleven − nine =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।