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विदेश मंत्री जयशंकर ने फ्रांस के राष्ट्रपति से की मुलाकात, रणनीतिक मुद्दों पर हुई चर्चा

जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया, “पेरिस शांति मंच में इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात हुई। महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर अच्छी चर्चा हुई।”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की और महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर उनके साथ ‘अच्छी’ चर्चा की। दोनों नेताओं की मंगलवार को पेरिस शांति मंच में मुलाकात हुई। जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया, ‘‘पेरिस शांति मंच में इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात हुई। महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर अच्छी चर्चा हुई।’’ 
वर्ष 1998 में भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक भागीदारी स्थापित हुई थी। रक्षा, सुरक्षा सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग और असैन्य परमाणु सहयोग रणनीतिक भागीदारी के महत्वपूर्ण घटक हैं। भारतीय वायु सेना ने पिछले महीने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमानों की खेप से पहला राफेल लड़ाकू विमान ग्रहण किया था। 

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शांति मंच में जयशंकर ने अपने संबोधन के दौरान, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से राष्ट्रों द्वारा समन्वित कार्रवाई का आह्वान किया, ताकि आतंकवाद और चरमपंथ की ताकतों को डिजिटल क्षेत्र में उपस्थिति से रोका जा सके। साइबर जगत में शासन के संबंध में जयशंकर ने कहा कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर साइबर हमलों सहित विशिष्ट सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए, देशों को जल्द कार्रवाई और इसका असर कम करने के लिए समझौता करने पर विचार करना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन जगत से आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी विषयवस्तु को समाप्त करने के लिए भारत ‘क्राइस्टचर्च कॉल’ का समर्थन करता है । इसके तहत देशों को समान सोच वाले देशों के साथ काम करते हुए सुनिश्चित करना है कि डिजिटल जगत हमारी सुरक्षा के लिए खतरा बने बिना हमारे समाज और अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम करे। 
इस साल 15 मार्च को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर में आतंकवादी हमले में मुस्लिम समुदाय के 51 लोगों की मौत हो गयी थी। इस आतंकवादी घटना का इंटरनेट पर लाइव प्रसारण कर दिया गया था। इसी घटना के बाद ‘क्राइस्टचर्च कॉल’ कार्य योजना की शुरूआत की गयी। भारत ने ऑनलाइन जगत में आतंकवाद और चरमपंथी विषयवस्तु से मुकाबले और इंटरनेट को सुरक्षित बनाने के लिए फ्रांस, न्यूजीलैंड, कनाडा और कई अन्य देशों के साथ हाथ मिलाया है। 
जयशंकर ने कहा कि साइबर जगत को खुला, सुरक्षित बनाए रखने के लिए अगर वैश्विक नियमन ना भी तैयार हो तो कम से कम वैश्विक सहमति बनाने की जरूरत है । इसके लिए पहले से ज्यादा बहुपक्षीय होने की जरूरत है । उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े विकासशील देश के लिए डिजिटल जगत और इसकी प्रौद्योगिकी हमारे लोकतंत्र और विकास कार्यक्रमों में बड़ी भूमिका निभा रहा है। 
उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े 1.2 अरब बायोमीट्रिक आधारित डिजिटल यूनिक पहचान पत्र कार्यक्रम, 1.2 अरब मोबाइल फोन कनेक्शन, एक अरब बैंक खाते, और 50 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट कनेक्शन ने बड़ा ढांचा तैयार किया है, जो शासन के साथ विकास को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अवसर से रोमांचित हैं लेकिन साइबर जगत के खतरों के बारे में चिंतित भी हैं । ’’ 

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